माँ
आह जब भी निकली
मुख से तेरा ही नाम निकला
माँ
जैसे सुन ली हो आवाज उसने
आके छू दिया हो अपने स्पर्श से
छूते ही उसके चैन आ गया
तन और मन को.
आह जब भी निकली
मुख से तेरा ही नाम निकला
माँ
जैसे सुन ली हो आवाज उसने
आके छू दिया हो अपने स्पर्श से
छूते ही उसके चैन आ गया
तन और मन को.