गीत/नवगीत

मेरा भारत देश महान

जब हम रोज़ ही, आपस में
मचाते रहेंगे, घमासान
फिर, किस मुंह, से बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान ।।

सत्ता पक्ष हो, या हो विपक्ष
खूब करें, सब, मिलकर कटाक्ष
पर, मर्यादाएं सब, मतकर लांघो
एक दिन टूटेगा ,सब अभिमान।

फिर, किस मुंह से, बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति
रोज ही, लहुलुहान, हो रही
पाश्चातय में हम, ऐसे डूबे
जैसे बस, वही, है सारा जहान ।

फिर, किस मुंह से , बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

इतनी भी, वैमनस्यता, न बढ़ाइये
मिलने-जुलने से, मत कतराइये
आंखें मिलाना ही, हो जाए दूभर
टूट जाएं सब, दिल के अरमान।

फिर, किस मुंह से, बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

आरोप-प्रत्यारोप , इतने लगाओ
कल फिर मिलेंगे, मत भूल जाओ
थोड़ा वाणी पर, जो संयम रखा
उठाना पड़ेगा, जरा, कम नुकसान

फिर, किस मुंह से, बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

चार चरणों के मत,अभी भी बाकी
नीचे गिरने की, क्या आपा-धापी
थोड़ा कल के लिए, बचाकर रखो
कुछ कम न होगी, तेरी पहचान।

फिर, किस मुंह से, बोलेंगे

कि मेरा भारत, देश महान।।

लोकतांत्रिक, व्यवस्था, है हमारी
शांतिपूर्ण चुनाव, की है जिम्मेदारी
ऐसे मौके तो, आते ही रहेंगे
फिर काहे की, इतनी खींचातान।

फिर , किस मुंह से, बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

पद और उम्र का, सम्मान जरूरी
आवश्यक है यह, न कोई मजबूरी
बड़ों को भी, इसे समझना होगा
तभी होगा, उनका, जय-जय गान

फिर, सब मिलकर, बोलेंगे
कि मेरा भारत, देश महान।।

जय हिन्द ! जय भारत !!

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई