संस्मरण

संस्मरण – मेरा पहला एलजी (सीडीएमए )

बात सालों पुरानी है ,अपने मित्रों के पास मोबाइल देखती तो तो इच्छा करती की काश मेरे पास भी एक मोबाइल होता, पर घर में किसी के सामने कभी अपनी ख्वाहिश का इजहार नहीं करती थी, हांलाकि पति देव ने अपना पुराना मोबाइल मुझे दे रक्खा था थोड़ा मोटा कुछ बेडौल सा पर मन को संतोष नहीं था |

2005 , जनवरी का महीना मेरे लिये बड़ा खास था जब मेरे लिये मेरे पति देव जी मेरे लिये नया मोबाइल लेके आये थे | काले रंग का छोटा बड़ा प्यारा सा LG का (सीडीएमए) मेरी खुशी का पारावार नहीं था | तब से कई फोन आये गये पर उसकी तो बात ही निराली थी हाय ! कितना प्यारा सा था आज भी उसकी सूरत नहीं भूलती |
2500 रुपये कीमत थी और 2500 का टाक टाइम भी मिला था | यूँ लगता था मानो फ्री का मोबाइल मिल गया हो |

माना कि आज के स्मार्ट फ़ोन जैसा आकर्षक , रंगीन ,कैमरा ,वीडियो, फेसबुक ,वाट्सअप और अन्यत्र सुविधाओं से परिपूर्ण नही था वह पर फिर भी उसकी बात निराली थी | मैं उस समय ए .के .पी इंटर कालेज में पढाती थी | अगले दिन अपने छोटे सलोने से मोबाइल के संग स्कूल गयी | उसके आने की खुशी में मित्रों को पार्टी दी | क्या दिन था वह | सच है ,पहला बस्ता पहली सायकिल , पहली स्कूटी ,पहली कार हो या फिर मोबाइल | पहली चीज का जलवा ही कुछऔर होता है |उसके बाद कई मोबाइल लिये आकार प्रकार और खूबसूरती निखरती गयी पर वो मेरा छोटा सा प्यारा मोबाइल आज भी मेरे दिलो-दीमाग में बसा हुआ है उसकी सुखद अनुभूति आज भी मन को आनंद प्रदान करती है |

— मंजूषा श्रीवस्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016