कविता

माँ

माँ, जीवन की धुरी है,

माँ, रेशम की डोरी है,

माँ से सजता घर-परिवार,

माँ ममता की छाँव है।

दया,  त्याग,  करुणा मूर्ति,

प्रभु परमात्मा की प्रतिकृति,

अपने अंश की शिल्पकार,

माँ,  धर्म, संस्कार, संस्कृति।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८