कविता

सु-संवाद हो!

वाणी हो मीठी-मीठी मधुर,

न हो कर्कश, न कठोर,

मिश्री घुली हो बोली सुहास,

रिमझिम बरसे प्रेम रस धार।।

निर्मल वाणी सबको भाये,

पावन भावना, मन हर्षाये,

मनमयूर नाचे छम छम छम,

प्रेम-वीणा गीत गुनगुनाये।।

प्रभु का अनमोल है उपहार,

भाव संजोता शब्द संसार,

बोलने से पहले हो तोल-मोल,

सु-संवाद से होवे मेल-जोल।।

जीवन में खूब मिठास घोले,

सुख, धन वैभव हिय हिंडोले

प्यार-दुलार की दौलत बरसे,

जगमग, जीवन ज्योत जले।।

संतों की वाणी सद्भाव सजाये,

महामहिम शब्द- मोती लुटाये, 

सत्य-असत्य की परख हम करें,

सत्यार्थी वाणी, जयगान गाये।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८