कविता – अन्याय का प्रतिरोध
तूने दी बंदूक उसे
कि रक्षा होगी तेरी
पर,अफसोस जनतंत्र में भी
जानें जाती तेरी।
करे वो अन्याय फिर भी सही है
बंदूक है, कलम पर अधिकार भी
नुमाइंदा तेरा गिरा हुआ
बंद है जबान उसकी भी।
कहता हूँ मैं भगत सिंह
कह रहा सुभाष
करना प्रतिरोध अन्याय का
चाहे बिछ जाये अनगिनत लाश।
— निर्मल कुमार दे