कविता

राजकोट और दिल्ली में आग से बच्चों का विनाश

बच्चे,
दिल के सच्चे,
मासूम फ़रिश्ते,
जात, धर्म, मज़हब, से अनजान,
देश का भविष्य, अपने परिवार की जान ,
केवल इंसानियत ही जिनकी पहचान,
कुछ पढ़ाई , कुछ आपसी दोस्ताना लड़ाई ,
कुछ ज़िद,कुछ हरकते, कुछ शरारते,
फिर भी कितने अपने कितने प्यारे–
सब जिन्हे प्यार से दुलारते, पुकारते–
सबका प्यार पाने को सदा लालायित,
सब अपना प्यार लुटाने को कितने उत्साहित ,
पर यह क्या —
आग ही आग
बच्चे जलकर हो गए खाक
पर बच्चो को तो चाहिए
सिर्फ प्यार, सिर्फ प्यार,
या खुदा, हे भगवान, हे परम पिता परमेश्वर,
सब को दे रहम का सबक, शांति का पाठ ,
इंसान इंसान से करे प्यार
सिर्फ प्यार
सिर्फ प्यार-
और ले आये स्वर्ग इस धरती पर–
और हर घर , हर परिवार ,समाज, हर देश,
बन जाये खुशियों का संसार …
— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845