चुनावों के समय
मैंने देखा है, चुनावों के समय,
सभ्य को गंवार होते हुए,
और चुनाव परिणामों के समय,
गंवारों को सभ्य होते।
समय,के साथ, गंवार शब्दों को,
सभ्य खा जाते हैं, हज़म कर जाते हैं।
और खून में मिला देते हैं।
और फिर कहते हैं, वे शब्द तो फ्लश हो गए।
गटर के थे, गटर में मिल गए।
और आज, आज फिर यहां भी,
कुछ पुरानी कही बातें, छिप जाएगी, देखना।
— डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी