मील का पत्थर
रास्ते में खड़ा है मील का पत्थर,
दूरी बताता है मंजिलों का।
आती-जाती कई सवारियाँ,
दौड़ रहीं हैं कई गाड़ियाँ।
देख उसे हैं चैन पाती,
अपनी रफ्तार बदल देतीं।
कभी तीव्र, कभी मध्यम गति कर,
चल पड़ती हैं गंतव्य की ओर।
अपनी मंजिल को हासिल करती,
दिल में चैन हैं पाती।
पर मील का पत्थर?
मुसकुराता, राह दिखाता , दूरी बताता,
कभी अपनी मंजिल को नहीं पाता।
बस एक हसरत है मन में –
कभी मंजिल से मिलने का सुख,
वह भी पाता।
कुछ पल सफलता का,
वह भी चख लेता।
रास्ते में खड़ा है मील का पत्थर,
दूरी बताता है मंजिलों का।
— डॉ. अनीता पंडा