नाटकबाज
हम सब नाटकखोर हैं
नित करते नये नये नाटक
मंदिर जाते मस्जिद जाते
पड़े गीता कुरान रामायण
रटते घट घट में व्याप्त है राम
अल्लाह के हम सब बंदे
फूटी आँख नहीं सुहाते
हम इक दूजे को
देख मुस्कुराते ऊपर से
पर बैर भरा है भीतर
हम सब नाटकखोर हैं
नित करते नये नये नाटक
मंदिर जाते मस्जिद जाते
पड़े गीता कुरान रामायण
रटते घट घट में व्याप्त है राम
अल्लाह के हम सब बंदे
फूटी आँख नहीं सुहाते
हम इक दूजे को
देख मुस्कुराते ऊपर से
पर बैर भरा है भीतर
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यथार्थ चित्रण हम सब नाटक करते हुए प्रतिक्षण किसी न किसी पात्र की भूमिका का ही निर्वहन कर रहे होते हैं। जो हम प्रदर्शित कर रहे हैं, वास्तविक रूप से हम हैं नहीं। जो हम हैं, उसे सामने आने नहीं देते।