बाल कविता

नन्हीं चिड़िया 

नन्हीं चिड़िया,

चुग लो दाना,

दानों से भरा है दोना।।

मटके में जल है,

मीठा, शीतल,

आओ, अपनी प्यास बुझाना।।

चिंव-चिंव, चिंव-चिंव,

गुंजित मधुर स्वर, 

गीत सुरीला हमें सुनाना।।

तुम बिन सुना आंगन,

सृष्टि सुहानी, कैसे हो चेतन?

नन्हीं चिड़िया लौट आना।।

पेड़-पौधे लगायेंगे हम,

छोटा-सा घरौंदा तुम,

तिनका-तिनका ले बुनना।।

नन्हीं चिड़िया आ जाना,

प्यारी चिड़िया आ जाना।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८