पिता श्री देव समान
हर दर्द सह कर पिता जी , मुस्कुराते आप थे।
खुद रहते भूखे प्यासे हम को खिलाते आप थे।
पिता छांव बरगद सी रही सिर पर बांहें पसार,
ज़िंदगी के हर दुख को सदा ही सहते आप थे।
दिल में चाहत यह, बच्चे हासिल करें मुकाम,
लम्बी सोच मन में लिए हमें पढ़ाते आप थे।
हम में भविष्य थे देखते ले कर मन में उमंग,
यही सोच के दिन रात, बोझ उठाते आप थे।
कसर छोड़ी कोई नहीं परवरिश की दिन रात,
बीमारी की हालत में काम पर जाते आप थे।
करता हम को छांव था , खुद सहता था धूप,
मुसीबत आती जब कभी हमें बचाते आप थे।
फरिश्ता बनके संग रहा जो मांगा सो था दिया,
हमारे लिए आप पूजनी, एक विधाते आप थे।
संस्कार सिखाये आप ने दिया सत्य का ज्ञान,
निर्भय रहो हर ख़ौफ़ से हमें समझाते आप थे।
कितने आप महान थे पिता श्री देव समान,
हर संकट की बेला में हमें राह दिखाते आप थे।
— शिव सन्याल