ग़ज़ल
आज तुमको तो यहाँ कुछ , अब दिखाना क्यूँ यहाँ है
साथ इसके देख अब तो, ये जताना क्यूँ यहाँ है
हो सके कोई न रिश्ता, अब हमारे बीच देखो
फिर हमें अब देखना ये, बात बढ़ाना क्यूँ यहाँ है
रास्ते हैं अब तो अलग ही, रोज़ चलते ही चलें हम
इश्क़ मन में अब नहीं तो, आज़माना क्यों यहाँ है
अब जहाँ भी हम रहेंगे, याद तुमको हम न आयें
एक दूजे को भुला दें, याद आना क्यूँ यहाँ है
राग अब हम क्यों अलापें, तुम नहीं हो अब हमारे
बात छोटी ही सही पर, अब मनाना क्यों यहाँ है
अब चुके हैं छोड़ जिसको, ज़िंदगी में अब नहीं है
गा रहे अब कुछ नया ही, वो पुराना क्यूँ यहाँ है
गूँजता रहता पुराना, वो तराना क्यूँ यहाँ है।
कह गया कोई हमारा, ही फ़साना क्यूँ यहाँ है।।
छोड़ मंज़िल हम चले हैं, रास आयक ये नहीं है
कंटकों ने आज घेरा, पग बढ़ाना क्यूँ यहाँ है
रास आये ही नहीं जो, छोड़ उसको ही अभी दें
आज तो यह देख ज़हमत, अब उठाना क्यों यहाँ है
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’