ग़ज़ल
कहीं दिल किसी से लगाने से पहले।
कभी पूछना मत ज़माने से पहले।
इलेक्शन भी लड़ना पड़ेगा यक़ीनन,
ज़रा सोच लेते सताने से पहले।
भरोसे के लायक बशर चाहिए इक,
कोई बात दिल की बताने से पहले।
अगर चाहते हो सराहे ज़माना,
नहीं खर्च करना कमाने से पहले।
उन्हे भूलना इतना आसां नहीं था,
बहुत याद आये भुलाने से पहले।
— हमीद कानपुरी