बरखा नाची
बादल छाए गगन में,चली हवा पुरजोर,
बरखा नाची छमाछम,धरती हुई विभोर।
लाएंगे अब मेघजी,रिमझिम की बौछार ,
धरती पर फिर जिंदगी,होवेगी गुलजार।
धरती में है हर तरफ हरियाली का जोर,
काले काले बादलों,बरसो अब घनघोर।
बरखा आते ही सखे ,मौसम हुआ मलंग ,
उपवन के हर फूल के ,दिखे अनोखे रंग।
बारिश की हर बूँद से ,सजा ख़ुशी संसार ,
सभी जनों को भा रहा ,बरखा का उपहार।
— महेंद्र कुमार वर्मा