गीत/नवगीत

योग की ओर

चारों तरफ है, बस एक, ही शोर
एक कदम बढ़ाएं,योग की ओर।।

कुंठा, निराशा, सब, मिट जाएगी
जीवन में, खुशहाली, बिछ जाएगी
हर्ष का, रहेगा, न कोई, ओर-छोर
एक कदम, बढ़ाएं,योग की ओर।।

मन को अनूठी, शांति मिलेगी
व्यर्थ के तनाव, से मुक्ति मिलेगी
दिल हो, जाएगा , भाव विभोर
एक क़दम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

थोड़ा, प्राणायाम, शामिल, कर लें
अपना मन, आनंद, से भर लें
चाहे, संध्या हो, या हो, भोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

हल्के-फुल्के, व्यायाम, कर लें
दिन भर, के लिए, स्फूर्ति भर लें
अहंकार सब, पड़े गा, कमजोर
एक कदम, बढ़ाएं,योग की ओर।।

सकारात्मक सब, विचार कौंधेंगे
छोटी-मोटी,व्याधि, आने न, दें गे
फैलेगा प्रकाश, फिर चारों ओर
एक कदम, बढ़ाएं,योग की ओर।।

दैनिक जीवन में, जो योग अपनाते
सभी, विकारों से, मुक्त हो, जाते
छंट जाते , काले, बादल, घनघोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

हो सकता है,कभी ध्यान,लग जाए
सोये पड़े, अपने , भाग्य जग जाएं
हाथ लग, जाए, जीवन,का निचोड़
एक कदम, बढ़ाएं,योग की ओर।।

योग की आदत, जब पड़ जाएगी
बहुत अच्छी, नींद, तब आएगी
सुनाई न देगा, फिर, कोई भी शोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

हमने, जगत को, योग सिखलाया
ओंकार को, घर-घर, पहुंचाया
विश्व में, योग के, हम हैं, सिरमोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

योग दिवस पर,आप सबको बधाई
अच्छा स्वास्थ्य, सबसे बड़ी कमाई
इसीलिए, कहता हूं, मैं, हांथ जोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

चारों तरफ है, बस एक, ही शोर
एक कदम,बढ़ाएं, योग की ओर।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई