गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अगर आंसूयों में रवानी ना होती।
मेरी जिंदगी जिंदगानी ना होती।
ना करता कभी मैं तेरे दर पे सजदा।
अगर वाकफियत पुरानी ना होती
अगर दोस्ती में ना आंसू बरसते,
कभी दुश्मनी पानी पानी ना होती।
ना मिलती मुझे इन फकीरों की संगत,
गुरू की अगर मेहर बानी ना होती।
किसी से मुहोब्बत ना होती किसी से,
अगर ज़िंदगी आनी जानी ना होती।
अगर ना मुहोब्बत के शोले बरसते,
किसी दिल जले पर जवानी ना होती।
अगर मौत आई ना मुझको ऐ बालम
मेरी ज़िंदगी इक कहानी ना होती।

— बलविन्दर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409