उठो जागो
उठो…।जागो…। क्यों अब तक तुम सोए हो,
भोर हो चुकी कबके, क्यों सपनों में खोए हो।
सपन सलोने देखो लेकिन याद रखो यह बात सदा,
कठिन परिश्रम बिन सपना ना कभी किसी का पूर्ण हुआ।
त्यागो यह अलसाई चादर, चुस्ती का प्याला भर लो,
लक्ष्य को अपने पाने का तुम स्वयं से ही वादा कर लो।
एकाग्र रखो मन चित्त को अपने, इधर उधर ना भटकने दो,
दुनियाभर की बातों में मस्तिष्क को नहीं उलझने दो।
एक लक्ष्य कर साधो उसको, हर बाधा को जय जाओ,
कर्म करो तुम कर्म करो बस, सद्कर्मों से विजय पाओ।
— मुकेश जोशी ‘भारद्वाज’