कविता – पहली बूंद
यह गर्मी की शिकायत का,
एक सुखद नज़राना है।
आगे बढ़ने में इन्सानियत को,
बरकरार रखने का,
खूबसूरत फ़साना है।
पहली बूंद ने ही,
भरपूर खुशियां संजोकर रखना सिखाया है।
आगे बढ़ने का,
सही व सटीक तरीका बताया है।
पहली बूंद ने ही,
खुशियां बिखेर दिया है।
नवजीवन प्रदान करने में,
मददगार बन गया है।
पहली बूंद है तो मोतियों को,
सलाम करतें हैं।
उम्मीदों पर खरा उतरने की,
लगातार जद्दोजहद करते हुए,
आगे फिरते घुमरते दिखते हैं।
पेड़ पौधे को सुकून देने वाली ताकत बनकर,
आनन्द की खुशबू बिखेरती है।
उम्दा आगाज़ करतीं हैं,
मन को तसल्ली देती है।
पशु-पक्षी और जंगल पहाड़ पर,
आनन्द और प्रसन्नता की दुनिया में,
उम्मीदों को जीवित करतीं हैं।व
हमेशा साथ-साथ चलने की कोशिश कर,
आगे बढ़ती रहती है।
एक एक बूंद ने,
समन्दर की गहराई से निकली हुई आवाज को बुलंद करती है।
तकलीफें झेलने में,
बखूबी रूप में,
हमेशा उम्मीद को जिन्दा रखने में,
हमेशा आगे रहतीं हैं।
— डॉ. अशोक, पटना