गीत/नवगीत

प्रेम को जीया, नहीं है जाना

प्रेम को ही है, जीवन माना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।
हमें भले ही, हो ठुकराया,
हमने सीखा, गले लगाना।
नहीं, प्रेम का गाया गाना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।
नहीं चाहते, तुमको पाना।
नहीं किसी को है ठुकराना।
स्वाभिमान से जीओ प्यारी,
नहीं गाते हम प्रेम का गाना।
नहीं चाहते तुम्हें रिझाना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।
नहीं तोड़ सकते हम तारे।
अपने सपने, तुम पर वारे।
तुमरी खुशियों की खातिर ही,
तुमरे प्रेमी, हमको प्यारे।
मन्द-मन्द तुम बस, मुस्काना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।
हमारी खातिर, मत तुम रुकना।
हमारी खातिर, मत तुम झुकना।
आनन्द मिले, तुम वहाँ पर जाओ,
साथ हमारे, मिले, यदि सुख ना।
जिसको चाहो, उसको पाना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।
बंधन में ना, तुमको बाँधा।
खुद मिटकर, तुमरा हित साधा।
जब हो जरूरत, तुम आ जाना,
तुमरे लिए है, हमारा कांधा।
तुमरे बिन, मरना, हमने माना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।
तुम्हारे साथ, जीवन है झरना।
तुम्हारे साथ, नहीं है डरना।
प्रेम सदैव आनन्द बाँटता,
नहीं किसी का सुख है हरना।
सबके जीवन में सुख लाना।
प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)