सहृदयता
लघुकथा
सहृदयता
“कौन है ये महिला ? क्या शिकायत है इसकी ?” बाहर शोरगुल की आवाज सुनकर निरीक्षण पर आए एस.पी. साहब ने थानेदार से पूछा ।
“सर, ये महिला लगभग रोज ही थाने में आकर बैठ जाती है।” थानेदार ने बताया।
“क्यों आती है ? कुछ तो वजह होगी ?” एस.पी. ने पूछा।
“सर, इसने पिछले हफ्ते थाने में अपने बेटे के गुम होने की शिकायत दर्ज कराई थी। हम लगातार कोशिश के बावजूद आज तक उसका पता नहीं लगा सके हैं। बेटे का पता नहीं चलने से इसकी दिमागी स्थिति खराब हो गई है। वह रोज 11 बजे आकर यहाँ आकर बैठ जाती है और शाम को इसका पति काम से लौटते समय इसे ले जाता है।” थानेदार ने बताया।
“अंदर बुलाओ उसे।” एस.पी. ने पूछा।
कुछ ही पल में वह महिला एस.पी. साहब के सामने बैठी थी। प्रथम दृष्टया वह एक संभ्रांत परिवार की लग रही थी । एस.पी. ने उससे कहा, “भावना जी, हमें आपसे पूरी सहानुभूति है। हमारी पूरी टीम आपके बेटे को खोजने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”
महिला बोली, “साहब, मैं एक ऐसी अभागन माँ हूँ, जिसके पाँच साल के बेटे का पिछले 6 दिन और सवा 9 घंटे से कोई खबर नहीं है। पता नहीं वह किस हाल में होगा। मेरे पिछले 6 दिन और सवा 9 घंटे कैसे बीते हैं, ये आप नहीं समझ सकेंगे साहब। एक-एक पल एक-एक युग जैसा लग रहा है। सर, मैं पगली नहीं हूँ। घर का सूना आँगन मुझे काटने को दौड़ता है। इसलिए अपने पति को ऑफिस रवाना करने के बाद मैं यहाँ इस उम्मीद से आ जाती हूँ कि शायद बेटे की कुछ खबर मिल जाए। “
एस.पी. ने उससे कहा, “भावना जी, आप जैसी एक माँ हैं, ठीक वैसे ही मैं एक पुलिस अधिकारी हूँ। आप और आपके परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। मैं आपको वचन देता हूँ कि अभी से मेरी पूरी टीम आपके बेटे की खोज में जुट जाएगी। और जब तक आपके बेटे का पता नहीं चल जाता, यहाँ के थानेदार मुझे रोज दोपहर में अपडेट करेंगे और मैं स्वयं आपको अपडेट करूंगा। आप मुझे अपना या अपने पति का मोबाइल नंबर दीजिए।”
एस.पी. साहब ने थानेदार कोआदेश दिया कि अधिकतम तीन दिन के भीतर बच्चे को खोज निकाला जाए, चाहे इसके लिए जो कुछ भी करना पड़े। तत्काल राज्य के सभी थानों में बच्चे की फोटो भेज कर जानकारी प्राप्त करें। साथ ही सभी पुलिस वाले वाले गुमशुदा बच्चे की फोटो अपने-अपने सोसल मीडिया में पोस्ट करें और जान-पहचान के लोगों को भी उसे शेयर करने को कहें। सभी निगरानीशुदा चोर, उचक्कों और बदमाशों से कड़ाई से पूछताछ करें। बच्चा जहाँ से गायब हुआ है, उस क्षेत्र की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर लगे हुए सभी सी सी टी व्ही कैमरों के फुटेज की दुबारा और अच्छे से जांच करें।
एस.पी. साहब की सहृदयता और सख्त निर्देश का परिणाम यह हुआ कि दूसरे ही दिन बच्चा माँ की गोद में और अपहरणकर्ता सलाखों के पीछे थे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
सकारात्मक भावुक लघुकथा के लिए आभार।