गीतिका/ग़ज़ल

गजल

तेरे इश्क़ में तू ही तू हो गया हूँ।
मैं दुनियां से सुर्ख़रू हो गया हूँ।
मैं जब से तेरे रूबरू हो गया हूँ ।
तेरी आबरू हूबहू हो गया हूँ।
नमाज़े मुहोब्बत को आंसू बहा कर,
वजू करते-करते वजू हो गया हूँ।
तेरे हुसन की एक अदने झलक से,
तेरी तरह खूबरू हो गया हूँ।
बालम तेरी राहगुज़र से गुज़र कर,
गुलिस्तां की आबरू हो गया हूँ।

— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409