लेख

तख्ता पलट की हवा चली है

वर्तमान समय में जनता क्यों करने लगी आन्दोलन क्या कोई बडे बदलाव अथवा उलटफेर के मिल रहे हैं संकेत एक के बाद दूसरे देश में उलटफेर कि की जा रही है पुनर्रावृति जनता की बिलबिलाहट या बौखलाहट का क्या है कारण ? क्या अब जनता इसी प्रकार आगजनी, तोड फोड करके अपनी दुष्वारियों का करती रहेगी समाधान ? पिछले चार वर्षो में चार देशों में सत्ता की उठापटक एवं तख्ता पलट होंने को लेकर छिडे संग्राम को देख कर लगता है कि यह सब पूर्व से ही सुनियोजित था सिर्फ मुद्दा कोई वर्तमान का होता है और मंशा कोई पूरानी झलती है सत्ता परिवर्तन को लेकर जहां भी भीषण संग्राम छिंडा है वहां पर सिर्फ जनता को ही जान गवांनी पड़ी है और आगजनी, तोड फोड के बाद ही स्थिति सामान्य हुयी है किन्तु इस तबाही के बीच बहुत कुछ बर्वाद हो चुका होता है चाहे वह श्रीलंका हो, चाहे अफगानिस्तान हो, चाहे पाकिस्तान हो या फिर वर्तमान में बांग्लादेश ही क्यों न हो तख्ता पलट को लेकर जहां जहां उपद्रव हुआ उस उपद्रव में तमाम निर्दोष लोग भी मारे गये, कोई भी देश हो उस देश के सभी देशवासियों को गद्दी की लालसा नही होती है सिर्फ चंद लोगों की मंसा के कारण बिद्रोह की ज्वाला भड़कायी जाती है और जनता को यह सिखाकर तैयार किया जाता है कि आपके दो वक्त की रोटी और अपनी नई पीढ़ी का सुनहरा भविष्य सुरक्षित करने के लिये आपको संघर्ष करना पडेगा नही तो यह वर्तमान शासन सत्ता के लोग देश के युवाओं के साथ ऐसे ही खिलवाड करते रहेंगे इसी तरह के लोग ही सत्ता की सूराबग्घी के माहिर होते हैं और देश की जनता को एक हसीन ख्वाब दिखाकर और बरगला कर इस तरह से तैयार कर लेतें हैं कि हर कोई उनकी हां में हां मिलाने के लिये तैयार हो जाता है और वर्तमान सरकार के खिलाफ लामबद्ध होकर सड़कों पर आ जाते हैं इसी भीड़ की गर्मी के बीच कुछ ऐसे नायक होते हैं जो अपनी राजनीतिक रोटी सेकने लगते हैं इस रोटी की सिकायी में हजारों लाशें बिछ चुकी होती हैं सैकड़ों इमारतें ध्वस्त हो चुकी होती हैं लोग घर से बेघर हो चुके होते हैं तब जाकर सूराबग्घी के धुरन्धर तख्ता पलट व तबाही फैलाने वाली चाल में कामयाब हो जाते हैं क्योंकि हर देश की सरकार के पास विपक्ष होता है और विपक्ष हर वक्त वर्तमान सरकार को घेरने की फिराक में लगा रहता है और किसी देश की संपूर्ण जनता वर्तमान सरकार के पक्ष में नही होती है।

अगस्त 2021 में मजहबी लड़ाई और सत्ता परिवर्तन को लेकर अफगानिस्तान में तालिबानियों ने जो तबाही मचायी उस मंजर को पूरे देश ने देखा अफगान में हालात ऐसे पैदा हो गये कि चारो ओर सिर्फ हाहाकार चित्कार के सिवा कुछ भी नही था यहां तक हवाई अड्डे रिहायसी इलाके, बाजार, सरकारी दफ्तरों पर धमाके पर धमाके किया जा रहे थे, इसकी बीच अफगान की महिलाएं व पुरूष अपने हाथ में अफगान का झंडा लेकर तालिबानियों का विरोध कर रही थीं किन्तु मंजर इतना भयावाह था कि तालिबानियों के सामने वहां की सरकार एवं वहां की जनता की एक भी न चल सकी आलम यह हुआ कि अफगानों को अपनी जान बचा कर अफगानिस्तान से भागना पड़ा और सत्ता परिवर्तन के मंसूबे में तालिबानी अफगानिस्तान में सफल हो गये सत्ता के संग्राम की चक्की में अफगानिस्तान की तमाम जनता पिस गयी। तालिबानियों ने आफगान के निवासियों पर इस कदर कहर ढाया कि लोग अपनी जान बचाने के लिये हवाई जहाज पर लटक कर जाते हुये नजर आये जिसकी तस्वीर पूरे विश्व ने देखी।

वहीं आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के निवासियों ने भी मार्च 2022 में सरकार के विरोध में धरना प्रर्दशन शुरू कर दिया शुरूवात में यह प्रदर्शन सरकर के कुप्रबन्धन को लेकर मोमबत्ती जलाकर श्रीलंका की जनता ने विरोध किया किन्तु धीरे धीरे प्रदर्शन भीषण उपद्रव एवं आगजनी का रूप धारण कर चुका था, उन दिनों श्रीलंका की जनता की सबसे बड़ी समस्या मंहगाई बनी हुयी थी जो सुरसा की तरह फैलती ही जा रही थी और थमने का नाम नही ले रही थी क्योंकि श्रीलंका की सरकार भी आर्थिक तंगी का सामना कर रही थी स्थिति यह उत्पन्न हो गयी थी कि वहां के निवासियों को खाने के लिये खाना नही बचा था और बच्चों के पीने के लिये दूध नही था खाद्य पदार्थों की जबदरस्त किल्ल्त के कारण हालात ऐसे हो गये कि लोगों को भूखों मरना पड़ रहा था, घरेलू गैस, ईंधन, एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमीं के कारण प्रर्दशनकारियों ने वहां के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफें की मांग की इस हल्ला बोल में श्रीलंका का सारा तंत्र फेल हो चुका था हालात इतने बद् से बत्तर हो गये थे कि सैकडों लोगों की जान चली गयी जगह जगह पर तोड़ फोड़ और आगजनी होने लगी हंगामें के बीच जलते और सुलगते श्रीलंका से राष्ट्रपति गोटबाया को परिवार सहित श्रीलंका छोंड कर भागना पड़ा और दूसरे देश में शरण लेनी पड़ी और वहीं से इस्तीफा भी देना पड़ा, इतना ही नही फिर श्रीलंका की जनता श्रीलंका की सरकार के विरोध में महिन्दा राजपक्षे का घेराव किया स्थिति यह हुयी की महिन्दा राजपक्षे को भी श्रीलंका छोंड़कर भागना पड़ा। इस घटना में भी श्रीलंका के सैकडों लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी।

9 मई 2023 को पकिस्तान में अचानक भारी हिंसा उस वक्त भड़क गयी जब पाकिस्तान के पीटीआई नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरानखान को अर्धसैनिक बलों ने गिरफ्तार कर लिया था और जिसके जवाब में इमरान खान के समर्थकों ने पाकिस्तान के कई शहरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया ये राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसा और अराजकता में बदल गया साथ ही वहां के सरकारी अधिकारियों एवं भवनों पर हमले होना शुरू हो गया जिसके कारण पाकिस्तान में इंटरनेट सेवाओं के साथ साथ नाकाबन्दी भी करनी पड़ी। इस हिंसक बर्बरता और आगजनी में लगभग 62 घटनाएं हुयी और 40 इमारतों को क्षति पहुंचायी गयी इसी के साथ पाकिस्तान के कई दर्जन लोंगों की मौत भी हुयी थी।

4 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जो हुआ वह अचानह होनी वाली घटनाओं में से नही है इसकी तैयारी पिछले कई महीनों से की जा रही थी और इस तैयारी में बंग्लादेश के लोगों के साथ साथ अन्य देश के लोंगों की भी मंशा साफ झलक रही है, 4 अगस्त को शुरू हुये छात्रों के आंदोलन ने 5 अगस्त तक इतना विकराल रूप धारण कर लिया कि बांग्लादेश में आगजनी, तोड, फोड, धमाके की स्थिति उत्पन्न हो गयी, प्रदर्शनकारियों की उग्रता को देखते हुये बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोंड़ कर भारत में शरण लेनी पड़ी। बांग्लादेश में हुये तख्ता पलट को भले ही आरक्षण का अम्लीजामा पहनाया जा रहा हो किन्तु वास्तविकता कुछ और ही है, साथ ही शेख हसीना को अगस्त का महीना काल का गाल नजर आता है इसलिये शेख हसीना खुद को बचाने के लिये 05 अगस्त को बांग्लादेश के भाग कर भारत आ गयीं।

इतिहास के अनुसार 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीर्बुरहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ और बांग्लादेश की सेना ने देश की बागडोर संभाली उस वक्त शेख हसीना अपनी बहन के साथ जर्मनी में रह रही थीं पिता की हत्या की सूचना मिलने के बाद वह जर्मनी से लौट कर भारत में लगभग 6 वर्षों तक रहीं। उसके बाद 18 मई 1989 को शेख हसीना अपनी बेटी के साथ इंण्डियन एयरलाइंस के विमान से कलकत्ता से ढाका एयरपोर्ट पर उतरीं जहां उनकी पार्टी आवामी लीग के नेताओं ने  बांग्लादेश वापस पर शेख हसीना का स्वागत किया। आवामीलीग की अध्यक्ष शेख हसीना शुरू से ही छात्रों के आन्दोलन से घिरी रहीं 11 अगस्त 1989 को उनके ऊपर बंदूकधारियों ने ढाका के धानमंडी स्थिति आवास पर गोलियां दागी जिसमें शेख हसीना बाल- बाल बच गयीं जो छात्रलीग के युवकों द्वारा हमला किया गया। 1996 में शेखहसीना पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी पर छात्रों के आन्दोलन से उनका पीछा नही छूटा। 04 अगस्त 2024 को भी छात्र आन्दोलन के बढ़ जाने के बाद बांग्लादेश में हिंसक घटनाएं होना शुरू हो गयीं 05 अगस्त तक छात्रों के आन्दोलन ने एक विकराल रूप ले लिया तो शेख हसीना को फिर देश छोंड कर भारत में आना पड़ा और बांग्लादेश को तख्ता पलट का दंश झेलना पड़ा।

वहीं पाकिस्तान में इमरान खान की वापसी को लेकर 14 अगस्त 2024 को पाकिस्तान के अन्दर इमरान खान के सर्मथकों ने जमकर तबाही मचायी और वर्तमान सरकार को चेतावनी देते हुये कहा गया कि यदि 30 अगस्त के पहले इमरान को जेल से रिहा नही किया गया तो 31 अगस्त को पाकिस्तान की गलियों में हाहाकार मचेगा। अब देखना यह है कि जो तख्ता पलट की हवा चली है ये कहीं पर जाकर थमती है या तूफान बनकर उभरती है।

राजकुमार तिवारी (राज)

बाराबंकी उ0प्र0

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782