कविता

हे गिरिवर धारी ! (छंद पद्मावती)

गोवर्धन धारी, हे त्रिपुरारी, दर्श तेरा मुझे भाता,
राधा दामोदर , मोर मुकुट धर, तेरी महिमा मैं गाता ।
लगी हिय में अगन, झरे ये नयन, संसार बड़ा दुखदाई,
दुख दर्द मिटाए, पार लगाए, प्रभु नाम एक सुखदाई ।।

प्रभु नाग नथैया, वेणु बजैया , है सबके पालनहारे,
तारे हैं नैया, सुखों की छईया, नारायण ही रखवारे ।
कर दे सब अर्पण, कर ले सुमिरन, माधव श्री गिरिवर धारी,
नवधा प्रेम भक्ति, कलिकाल मुक्ति, साधन यह मंगलकारी ।

कर ले बंद नयन, भूला उलझन, गिरिराज सर्व भयहारी,
ध्यान कर लें सघन, चिंतन व मनन, भक्ति साधना हितकारी ।
प्रिय श्री जी ठाकुर, सुंदर सुमधुर, रम जा सुधा सरस पा ले ,
प्रभु आनंदकंद, सच्चिदानंद, ह्रदय में प्यार जगा ले ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु