कविता

उम्मीद

उम्मीद ही तो है
जो हमें हौसला देती हैं,
हार में भी जीत की राह दिखाती है।
जब हमें हर ओर दिखाई देता है घनघोर अंधेरा
तब उम्मीद ही हममें उजाले का
आत्मविश्वास जगाती है।
उम्मीद ही है जो हमें जीना सिखाती है।
उम्मीद ही तो है, जो हमें हर राह दिखाती है
उम्मीदें न हों तो सब कुछ खत्म हो जाएगा
जीने का मकसद ही मिट जाएगा,
तब इंसान, इंसान नहीं रह पायेगा
जीते हुए भी मुर्दों जैसा हो जाएगा।
फिर उम्मीद का मतलब क्या रह जाएगा,
उम्मीदों की राह पर भला कौन चल पाएगा?
तब उम्मीद की किरणों का
क्षणिक प्रकाश भी कब, कहाँ, कैसे
और किसमें चमक पाएगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921