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पड़ोसी धर्म

पड़ोसी धर्म

उस दिन रविवार की छुट्टी थी। संयोगवश उसी दिन शर्मा जी के बेटे रमेश की नीट की परीक्षा थी। रमेश पिछले दो साल से नीट की तैयारी में लगा हुआ था। परीक्षा केंद्र उनके घर से लगभग पंद्रह किलोमीटर दूर शहर के आउटर में स्थित एक स्कूल था। शर्मा जी ने कोई भी रिस्क लेना ठीक नहीं समझा और पर्याप्त समय पूर्व रमेश के मना करने के बावजूद वे स्वयं अपनी स्कूटी से बेटे को परीक्षा केंद्र तक पहुँचाने गए।

 रमेश को परीक्षा केंद्र में छोड़कर लौटते समय रास्ते में शर्मा जी ने देखा कि उनके पड़ोसी कमल, जिससे किसी बात को लेकर विवाद होने के कारण पिछले दो-ढाई साल से बातचीत बंद है, की बेटी नेहा सड़क के किनारे हैरान-परेशान खड़ी है। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि परीक्षा देने के लिए जाते समय बीच रास्ते में ही उसकी स्कूटी ख़राब हो गई है। पड़ोस में रहने से उन्हें पता था कि नेहा भी रमेश के साथ ही नीट की तैयारी कर रही है।

शर्मा जी बिना समय गंवाए नेहा के पास जाकर बोले, “क्या बात है बेटा ? आज तो तुम्हारी भी परीक्षा है न ? फिर यहाँ क्यूँ खड़ी हो ? क्या तुम्हारी स्कूटी खराब हो गई है ?”

नेहा लगभग रोती हुई बोली, “हाँ अंकल जी, पता नहीं कैसे मेरी स्कूटी पंचर हो गई है। मुझे भी आज पापा छोड़ने के लिए आने वाले थे, पर अचानक दादा जी की तबीयत खराब होने की खबर पाकर वे कल गाँव चले गए हैं।”

 शर्मा जी बोले, “कोई बात नहीं बेटा, तुम मेरी स्कूटी लेकर तुरंत निकलो परीक्षा के लिए। ये पकड़ो चाबी, और अपनी स्कूटी की चाबी मुझे दे दो। मैं आसपास कहीं से भी बनवाकर जब रमेश को लेने आऊँगा, तो हम अपनी गाड़ी आपस में बदल लेंगे। अब तुम देर मत करो अपनी पेन-पेन्सिल, एडमिट-कार्ड और आई-कार्ड वगैरह पकड़ो और जल्दी से निकलो। परीक्षा शुरू होने में अभी समय है। तुम जल्दी से निकालो अब।”

“पर अंकल, आप तो…” नेहा असमंजस की स्थिति में थी।

“पर-वर कुछ नहीं नेहा, अभी तुम जाओ। हमारी पहली प्राथमिकता तुम्हारी परीक्षा है। तुम्हारी परीक्षा और कैरियर के सामने हमारे मतभेद की कोई जगह नहीं। आज तुम्हारी जगह मेरा बेटा रमेश और मेरी जगह तुम्हारे पापा होते, तो वे भी वही करते, जो कि मैं कर रहा हूँ। अब जाओ जल्दी, बेस्ट ऑफ़ लक बेटा।” रमेश जी ने उसे आश्वस्त किया।

नेहा ने सिर उठाकर शर्मा जी तरफ देखा, उनमें उसे अपने पापा की छबि नजर आई। नेहा ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिए और उनकी स्कूटी स्टार्ट कर परीक्षा केंद्र की ओर निकल पड़ी।

प्रदीप कुमार शर्मा

रायपुर (छ.ग.)

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888