स्तुति – हे योगेश्वर
हे योगी,हे योगेश्वर, तुझको सत-सत नमन है
हे मुरलीवाले,बंशीवाले ले लो अपनी शरण है।
हे भक्तवत्सल,हे दीनानाथ तू ही मनमोहन है
हे करुणामयी,करुणासागर तू ही मधुसूदन है।
हे रमापति, हे त्रिभुवनपति, तू कमलनयन है
हे कृष्ण-कन्हाई,हे वासुदेव तू देवकी-नंदन है।
हे गोवर्धनधारी,हे गौपालक,तू चक्रसुदर्शन है
हे शेषपति,तू कालिया का किया मानमर्दन है।
हे धर्मयोगी,हे कर्मयोगी तू ही नर-नारायण है
हे निष्काम-योगी,मायापति तू भक्तपरायण है।
— अशोक पटेल “आशु”