कविता

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्म होने वाला है।हर्ष बड़ा आने वाला है।।
चहुँओर खुशियाँ फैली है।जन्माष्टमी भरे फैली है।।
मथुरा में जहां बंद करे हैं।जहां कृष्ण जन्म धरे हैं।।
घना अँधेरा अति छाया है।यही कृष्ण प्रभु की माया है।।
कृष्ण जन्म होते जैसे ही।पतन कंस का था वैसे ही।।
समझा नहीं कृष्ण की माया।वो दंभी तब बहु हर्षाया।।
वासुदेव तब अति घबराए।कृष्ण जन्म ले धरा पर आये।।
संग देवकी समझ न पाए।कंस काल बन कान्हा आए।।
जन्माष्टमी आज फिर आई।कृष्ण जन्म की खुशियाँ छाई।।
लेंगे जन्म आज कन्हाई।वो पल होगा अद्भुत भाई।।

*सुधीर श्रीवास्तव

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