मुक्तक/दोहा

राखी

भगिनी जब आ जायेगी, लेकर खुशियाँ साथ।कर में राखी बांधकर, रखे शीश मम हाथ।।रिश्ता भाई बहन का, पावन और पवित्र।सभी चाहते हैं सदा, बना रहे ये चित्र।।कच्चे धागों ने लिखा, आज नया इतिहास।दुनिया में अनमोल है, यह सुंदर अहसास।।तिलक लगाया माथ में, राखी बांधी हाथ।अश्रु गिरे उसके चरण, पावनता के साथ।।रिश्तों का बंधन नहीं, रिश्तों का आधार।पावन और पवित्र है, धागों का संसार।।राखी का त्यौहार है, रिश्तों का आधारबना रहे संसार में, पावन ये त्यौहार।।देती वो आशीष है, ये उसका संस्कार।उल्लासित दोनों बहुत, करते वो स्वीकार।।तिलक लगा कर माथ पर, राखी बांधे हाथ।पैरों पर आंसू गिरे, पावनता के साथ।।रिश्तों का बंधन नहीं,बस रिश्ता आधार।पावन और पवित्र है, धागों का त्योहार।।खुशियों की बौछार ले, तिथि आई उन्नीस।है राखी त्योहार यह, अद्भुत अनुपम बीस ।। भ्रातृ बहन संबंध का, अनुपम यह त्योहार।चहुँदिश में उल्लास है, गूँज रहा संसार।।भगिनी भ्राता को सदा, भाता राखी पर्व।सजा कलाई भ्रातृ की , भगिनी करती गर्व।।भाई दे सौगात जो, बहना को संसार।बना रहे संबंध यह, ईश्वर का आभार।।मुझे भूल जाना नहीं, भैया मेरे आप।वरना सोचूँगी सदा , कुछ तो हुआ है पापआई बहना भ्रातृ के, राखी लेकर द्वार।दोनों को ऐसा लगा, खुशियाँ मिली हजार।।घर- घर में फैला हुआ, यारों हर्ष अपार।सज धज कर बहनें खड़ीं, राखी का त्योहार।।खुशियों का यह पर्व है,राखी का त्योहार।बहना दे आशीष के, संग में अपना प्यार ।।उत्साहित दोनों बड़े, भ्राता भगिनी आज।राखी के उल्लास में, भूले सारा काज।।राखी के इस पर्व पर, विनय करुं कर जोड़।मात-पिता जब न रहें, तुम मत देना छोड़।।भ्राता तू ही कल मेरा, होगा माई बाप।ऐसा कुछ करना नहीं, लगे मुझे अभिशाप।।अपनी सौगातें लिए, आई बहनें आज।अद्भुत सुंदर रूप में, राखी थाली साज।।हर मन में उल्लास का, छाया आज खुमार।राखी का त्योहार है, भ्रातृ बहन का प्यार।।खुशियों की बौछार ले, तिथि आई उन्नीस।है राखी त्योहार यह, अद्भुत अनुपम बीस ।।शीश झुका तेरे चरण, बहना मेरा आज।हाथ रखो मम शीश पर, सुधरे जीवन साज।।नमन करूं मैं आपको, करो आप स्वीकार।बस इतनी करिए दुआ, हो मेरा उद्धार।।पावन राखी पर्व पर, शीश झुकाऊँ आज।बस इतना आशीष दो, पूरन हो सब काज।। चरण तुम्हारे है झुका, शीष भ्रात का आज।बस अपना आशीष दो, बन जाये हर काज।।मेरे सिर पर तुम सदा, रखना अपना हाथ।जन्म जन्म मिलता रहे, बहना तेरा साथ।।राखी पावन पर्व है, देता मैं आशीष।खुशियों के सौगात की, नित्य तुम्हें बख्शीश।।राखी पावन पर्व पर, मेरा है आशीष।खुशियों के सौगात की, वर्षा हो नित शीश।।रक्षाबंधन दिवस पर, मेरा है आशीष।खुशियों के सौगात की, वर्षा हो नित शीश।।रक्षाबंधन बाँधती, बहनें सब की आज।और संग में दें दुआ, भाई का हो राज।।

*सुधीर श्रीवास्तव

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