पूछ रहा हिन्दुस्तान
बेईमानोंं के देश में
बेईमान बना है राजा
बेईमानी की नीत प्रखर
बेईमानी है जहाँ काजा
ईमान की डूबी नैय्या
प्रजा हुए हलकान
भूखे मरते बुढ़े बच्चे
राजा दिखे पहलवान
कैसी कैसी राजनीति की
चल रही है यहाँ दुकान
मंहगी खाना मँहगा पीना
जनता हुए परेशान
नहीं चिन्ता आम जन का
नहीं है कोई सम्मान
लुट खसोट् की हो गई दुनियाँ
राजा को नहीं है भान
कैसे कैसे रूप दिखाया था
जनता है अब हैरान
कहाँ चली गई रामराज्य
ये पूछ रहा है हिन्दुस्तान
— उदय किशोर साह