गीतिका/ग़ज़ल

यादें

मेरे अंदर एक ज़माना है।
यादें है न उनका पैमाना है।

सोचो जो कह देना बेफिक्र,
तुम्हारा इस शहर में आना है।

छत पर थी बहुत ज़िम्मेदारी,
दिवारों का भी संग ठिकाना है।

पूछोगे भेद खुल जाएंगे बहुत,
खामोशी से भी क्या बचाना है।

आओ अब अतीत को खंगाले,
बहुत से लम्हों को दिखाना है।

शब्दों से रिश्ते की गहराई समझो,
तुम से शुरू तुम पे खत्म फसाना है।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |