गीतिका/ग़ज़ल

आज के बाद कोई भरोसा नही

नजर आखिरी आज उठ जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही
जाम ये आखिरी अब उतर जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही

बहक जाने दे आखिरी दौर में
ये नशा ही नही है किसी और में
जाम जानिब मेरे है बड़ी देर से
आज के बाद कोई भरोसा नही

आरजू मर चुकी जूस्तजू भी फना
यहां मल्ल मेरा जिन्दगी से ठना
ये मुझको मिले या मैं उसको मिलूं
आज के बाद कोई भरोसा नही

मुद्दतों बाद काली घटा छायी है
मूसलाधार अबकी नजर आयी है
तरबतर ‘‘राज’’ सारे हो जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही

राजकुमार तिवारी ‘‘राज’’
बाराबंकी

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782