हिंदी साहित्य का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविध है।
हिंदी साहित्य का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह साहित्यिक यात्रा आदिकाल से शुरू होती है और आज तक जारी है। हिंदी साहित्य में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना आदि विभिन्न विधाएँ शामिल हैं।
आदिकाल (1000-1400 ईसवी)
इस काल में हिंदी साहित्य का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ था। इस काल के प्रमुख कवि संत कबीर, तुलसीदास, सूरदास आदि हैं।
भक्तिकाल (1400-1700 ईसवी)
इस काल में हिंदी साहित्य में भक्ति आंदोलन का प्रभाव दिखाई देता है। इस काल के प्रमुख कवि मीराबाई, रसखान, जायसी आदि हैं।
रीतिकाल (1700-1900 ईसवी)
इस काल में हिंदी साहित्य में रीति और शैली का विकास हुआ। इस काल के प्रमुख कवि बिहारी, घनानंद, चंद्रवरदाई आदि हैं।
आधुनिक काल (1900-1947 ईसवी)
इस काल में हिंदी साहित्य में आधुनिक विचारों और आंदोलनों का प्रभाव दिखाई देता है। इस काल के प्रमुख लेखक प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत आदि हैं।
हिंदी साहित्य का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविध है। यह साहित्यिक यात्रा आदिकाल से शुरू होती है और आज तक जारी है।
आज के परिवेश में हिंदी साहित्य की स्थिति में बदलाव आया है।लोगों की रुचि भी बदल गई है। पहले के समय में लोग हिंदी साहित्य को बहुत महत्व देते थे, लेकिन अब लोगों की रुचि अन्य विषयों की ओर बढ़ रही है।इसके बावजूद, हिंदी साहित्य का महत्व अभी भी बरकरार है।और कुछ लोग इसे पढ़ना और समझना जारी रखे हुए हैं ।हिंदी साहित्य के इतिहास में परम्परा और प्रगति का सम्बन्ध भी महत्वपूर्ण है।हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, और साम्यवाद जैसे कई आंदोलन हुए हैं, जिन्होंने साहित्य को नई दिशा दी है ।आज के समय में भी हिंदी साहित्य में नए प्रयोग हो रहे हैं, और लोगों की रुचि पुनःबढ़ रही है ।
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़