लघुकथा

गणेशोत्सव

सरस्वती प्रशाला में गणेशोत्सव मनाने की तैयारी जोर शोर से हो रही थी। ईको फ्रेंडली गणपति बनाने में विद्यार्थी व्यस्त थे। कोई नारियल से, कोई विविध बीजों से, कोई फालतू सामान से, कोई रंगबिरंगे फूल, पत्तियों से गणेश जी की प्रतिमा गढ़ रहा था। शिक्षक नौनिहालों की समझदारी देख गदगद हो रहे थे।

विद्यार्थी पर्यावरण मित्र बन सकल संसार को ईको फ्रेंडली बनायेंगे, शिक्षक अभिभावकों के मन में विश्वास प्रबल हो रहा था। गणपति आगमन से लेकर पूजा- पाठ, आरती, साज-सजावट, लड्डू  मोदक का प्रसाद विद्यार्थीयों के जिम्मे था।  प्रकृति पूजन, सौहार्द  सद्भाव, नशा मुक्त जीवन,  बडे बुजुर्गों का आदर सत्कार का अनमोल संदेश देते गणेश जी सबके आकर्षण का केंद्र थे। गणेश जी के विसर्जन  के लिए  भी छोटा सा हौद पानी से भर दिया था। जन मन गण उपयुक्त शिक्षा से अलंकृत अपने विद्यार्थीयों को देख शिक्षकों की आंखें नम हो रही थी। प्रेमभाव से, समता भाव से, बिना शोरगुल के गणेशोत्सव मनाया गया। अगले बरस आने का अनुनय करते सुखदाता का विसर्जन किया गया।

मन उदास था, लेकिन सामाजिक दायित्व निभाने का संतोष भी हरेक के मन में था।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८