कविता

हाँ मैं परी हूँ

ढूंढ़ते रहते हो दर-ब-दर जिसको तुम
रुख़ से ओझल वो तुम्हारी हँसी हूँ
हाँ मैं परी हूँ

ख्वाबों खयालों उजालों की चाहत,
लबों पर तबस्सुम ताबीर-ए-जिंदगी हूँ
हाँ मैं परी हूँ

चाहा था पाना, या जिसमें बस जाना
मैं उसी ख़्वाबों की दुनिया में पली हूँ
हाँ मैं परी हूँ

न मायूस होना, यक़ीं तुम ना खोना
उम्मीदों की डोर थामे “गीत” खड़ी हूँ
हाँ मैं परी हूँ

साथ मांगते हो कभी वादा-ए-चाहत
हाथों में हाथ लिए देखो चली हूँ
हाँ मैं परी हूँ

— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी

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