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एमबीबीएस में दाखिले का रास्ता है नीट यूजी परीक्षा

बारहवीं में बायोलॉजी लेने वाले अधिकतर छात्रों की योजना आगे चल कर डॉक्टर बनने की होती है। लेकिन इसमें वे छात्र ही सफल हो पाते हैं, जिनमें कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति होती है। आज देश के 600 से अधिक निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 92,000 से ज्यादा एमबीबीएस की सीटें हैं। वहीं हाल ही की खबर है कि भारत सरकार की ओर से मेडिकल में नई 75000 सीटें और बढ़ाई जाएंगी। तो, एमबीबीएस के कोर्स में दाखिले को लेकर कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में यहां समझें:

■ एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के लिए प्रक्रिया : देश भर के तमाम सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश • परीक्षा नीट यूजी (NEET-UG ) देना होगा, जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा साल में एक बार आयोजित की जाती है। 

■ नीट यूजी के अंतर्गत 5.5 वर्षीय एमबीबीएस कोर्स में तो दाखिला होता ही है, वहीं 5 वर्षीय बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी), 5.5 वर्षीय बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी), 5.5 वर्षीय बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) एवं 5.5 वर्षीय बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) में भी दाखिले का आधार यही परीक्षा है। 

■ नीट यूजी प्रवेश परीक्षा की योग्यता क्या है: यदि आपने 12वीं की परीक्षा पीसीबी (फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायो) विषयों के साथ उत्तीर्ण की है और आपकी अधिकतम आयु 25 वर्ष है, तो आप ये परीक्षा दे सकते हैं। नीट यूजी परीक्षा की प्रक्रिया क्या है: परीक्षा शिड्यूल की घोषणा होगी, फिर एनटीए की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। उसके बाद परीक्षा आयोजित होती है, जिसमें रिजल्ट के आधार पर एक मेरिट सूची जारी की जाती है और उसके आधार पर आपको काउंसलिंग के लिए बुलाया जाता है। काउंसलिंग में आप अपनी पसंद के कॉलेज और कोर्स का विवरण देते हैं, जिसके बाद आपके स्कोर को देखते हुए (मेरिट लिस्ट) आपको दाखिले के लिए सीट दी जाती है। भारत में केवल उस एमबीबीएस कोर्स के छात्र को डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने के लिए योग्यता प्रदान की गई है, जिस कोर्स की मान्यता भारत सरकार के अंतर्गत स्थापित नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी से है। इस संस्था को ही पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया कहा जाता था। स्पष्ट कर दूं कि यदि कोई छात्र विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेकर आता है और उसे भारत में एक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करना है, तो उसे भारत में फिर से इंटर्नशिप करनी होगी और फिर नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा आयोजित स्क्रीनिंग परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, जिसके बाद ही उनका रजिस्ट्रेशन नेशनल मेडिकल कमीशन में एक मेडिकल प्रैक्टिशनर के तौर पर होगा।

— विजय गर्ग

विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

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