हे माँ कुष्मांडा
हे माँ कुष्मांडा तुम शक्ति की देवी हो,
सृष्टि की रचयिता, जीवन का आकार हो,
विश्व की मूरत हो, सृष्टि की धारणाकर्ता हो,
हमे सुख,शांति एव समृद्धि देने वाली सहारा हो।
हमेशा कुंदलित स्वर में तुम गुनगुनाती हो,
हर दिशाओं में प्रेम की धारा बहाती रहती हो,
सबकी संकट दूर करती हो, हर दुख को मिटाती,
सच्चे भक्तों की हमेशा, तुम सदैव साथ रहती हो ।
संसार के पालन में, तुमने माँ बहुत उपकार किया है,
सभी ज्ञानी-अज्ञानियों को माँ, देती हो सुख का आधार,
तुम्हारी कृपा से माँ, सबका हर सपना साकार होता है,
माँ तुम हो इस कलयुग मे, हमारे जीवन का उद्धारकर्ता ।
आप गर्भ मे छुपा अनंत ज्ञान, विज्ञान की देवी हो माँ,
तुमने ही अंधकार से रोशनी की ओर हम सबको लायी,
पौधों के कांटों मे खिलती खूबसूरत, मनमोहक फूल हो,
तेरे ही चरणों मे विश्व का सारा अमूल्य धरोहर अमृत है ।
तुमसे ही जीवन है, तुमसे ही है मेरा हर अनजाना राह,
धन्य है हम सब मनुष्य, जिनको मिली तुम्हारी आभा,
हर कष्ट में जब हम, स्मरण करते है आपका तो हमेशा,
आपसे हमे मिलता है आपकी महिमा कृपा, अपरम्पार ।
— रूपेश कुमार