कविता

समय समय की बात है

सब समय समय की बात है
कभी घनघोर काली रात है
तो, कभी बिन बादल बरसात है,
सब समय समय की बात है।
कभी मायूसी का साथ है
कभी खुशियों की बरसात है
समय आत है और जात है,
सब समय समय की बात है।
कभी जीवन में प्रेम की बरसात है
कभी जीवन में खुबसूरती की एहसास है,
कभी न भूख है और न प्यास है
सब समय समय की बात है।
पर समय किसी का गुलाम नहीं
कभी तेरे पास तो कभी मेरे पास
बदलता रहता है इसका रैन बसेरा
आज है अगर गमों का अंधेरा
तो कल जरूर आएगा खुशियों का सवेरा।
अच्छे समय पे न करो गुरूर और घमंड
क्योंकि समय किसी का बोझ ढोता नहीं
झटके में तोड़ देता है ये घमंड
फिर जिंदगी की हो जाती है झंड।

— मृदुल शरण