कहानी – चमत्कार
तूफान चलने लगा जो बाहर के बर्फीले तूफान से भी भयंकर था। वह कमला को छोड़कर नहीं जा सकता था भले ही तीनों बर्फ में दफन क्यों न हो जाएं। कमला ने फिर आग्रह किया -” मेरे लिए रोहित को बचा लो तुम चले जाओ। ज्यादा सोचने विचारने का समय नहीं है।” यहां संवेदना भावुकता कि नहीं बुद्धिमता की आवश्यकता थी। रमेश ने दिल पर पत्थर रख कमला का हाथ छोड़ एक बार आंसू भरी आंखों से निहार और कुदरत के इस क्रूर मजाक को स्वीकार कर अपने कदम आगे बढ़ा दिए।
कमला ने अपने पति और बेटे को भरपूर नजरों से निहारा और प्रणाम कर अपनी तरफ से अंतिम विदाई ले ली….। रमेश रोहित को उठाकर पहाड़ से नीचे उतरता आया । धीरे-धीरे रात भी उतरती आई रात के लगभग दस बजे वह बस्ती में पहुंच गया। जैसे-जैसे वह नीचे उतरता गया बर्फ भी कम होती गई परंतु बस्ती में अब भी दो फुट बर्फ थी। उसने रात सरकारी रेस्ट हाउस में बिताई। चौकीदार को उसने अपनी सारी व्यथा सुनाई । दोनों बाप बेटे का जीवन बच गया था । उधर कमला जब उनसे विदा हुई तो दोनों को धुंध में उतरते हुए देखती रही।
फिर उसे लगा अभी तक उसमें श्वास बाकी है। जब तक सांस है तब तक आस नहीं छोड़नी चाहिए । तभी उसे बाबा दीप सिंह जी याद आए। वह बचपन में पहली बार अपने पिताजी के साथ अमृतसर गई थी। वहां स्वर्ण मंदिर में है उसने बाबा दीप सिंह का इतिहास पढ़ा था जिन्होंने अपना कटा सिर हाथ में पकड़ कर मुगल सेना में खून की नदियां बहा दी थीं। उसे लगा हमारा इतिहास तो शूरवीरों की शूरवीरता से भरा पड़ा है । उसकी स्मृति से बाबा दीप सिंह सिर हाथ में लेकर लड़ते हुए गुजरे ।
उसके कदमों में गर्माहट आ गई। उसने चलना जारी रखा। चलते-चलते रात उतर आई थी। बर्फ गिरनी बंद हो गई थी। नीले आसमान पर रातों की महफिल सितारों से सज गई थी। वह कभी गिरती उठती और चल देती। वह तब तक चलती रही जब तक वह होश में थी। फिर वह ग्लेशियर से लुढ़ककर बस्ती के रेस्ट हाउस के पास पहुंच गई । परंतु… अब वह बेहोश हो गई थी । बर्फ उसके आसपास इस तरह लिपट गई थी कि पता नहीं चल रहा था कि इसके अंदर क्या है।
चौकीदार ने सुबह बाहर देखा तो बर्फ में लिपटा पेड़ का तना सा लगा । तभी वह गौर से देखने लगा तो लाल दुपट्टा नजर आया। उसने बर्फ़ हटाकर देखा तो वह सुंदर युवती थी। उसने गौर से नाड़ी देखी तो चल रही थी उसे लगा अभी जिंदा है । उसे बचाया जा सकता है ।चौकीदार ने अपने सहयोगी को आवाज़ लगाई । दोनों उसे उठाकर रेस्ट हाउस में अंदर ले आए । कमरे में आग जला दी उसके गीले कपड़े बदल दिए। कुछ देर बाद उसे होश आ गया ।
तब उन्होंने पुलिस स्टेशन फोन कर दिया और सारी कहानी कह सुनाई उधर रमेश के घर कमला की मृत्यु का मातम मनाया जा रहा था । अखबार में खबर छपी की एक महिला रेस्ट उसके पास बर्फ में लिपटी मिली जो जिंदा बच गई है नाम है कमला। खबर सुनकर घर गांव तथा परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा सभी इसे चमत्कार ही कह रहे थे।
— अशोक दर्द