एकल या संयुक्त?
एकल या संयुक्त
पशोपेश में हूं मैं,
परिवार कैसे हो?
एकल की स्वच्छंदता,
या संयुक्त के बंध हो?
आजादी के मायने क्या है?
निरंकुश जीना जीवन सार है?
क्या एकल में ही ठाठ है?
या असुरक्षितता भावना का दंश है?
विकृत, विक्षिप्त हो रही जिंदगी,
अकेलेपन, उदासी, उबाऊ जीवन से
हृदय गमगीन है?
बचपन पालनाघर में,
माता-पिता वृध्दाश्रम में,
परिवार की दुर्लक्षित है।
खिलखिलाहट जिंदगी की हमेशा,
सबके साथ हंसते-हंसते,
बतियाते, मुस्कुराते जीने में है,
एकल परिवार है अभिशाप,
जितने जल्द समझ सको,
जीवन नैया होगी भवपार है।
दूर के ढोल सदा सुहाने होते हैं,
एक कंधे पर परिवार का भार,
रीढ की हड्डी मोड देता है।
चार दिन की चाँदनी है अकेले रहना,
मनमौजी की तरह, उन्मुक्त जीना,
पलछिन जश्न माहौल है यह।
संयुक्त परिवार में पीढी दर पीढी,
सब रहते मिलजुल कर,
नटखट बचपन, खिलता यौवन,
ढलती सांझ का सुखद एहसास है।
संयुक्त परिवार की लक्ष्मण रेखा,
सुरक्षित जीवन आधार है।
संयम, सहयोग, समर्पण भावना से,
सहज सहजीवन का मांगलिक गान है।।
भारतीय संस्कृति में साथ रहते,
छोटे बड़े गौरवान्वित है,
एक अकेला थक जायेगा,
सत्य सर्वविदित है,
साथ रहे, मित्रवत रहे,
प्रेम हुंकार भरे,
एक दुजे का थाम हाथ,
रस्सी सा मजबूत बने।
जड़ से जो जुडे रहेंगे,
विश्वास डोर से बंधे रहेंगे,
अपनी माटी से नेह जिन्हें,
खिलेंगे प्रेम पुष्प वहां,
निर्मल स्नेह धारा बहेगी,
फलेगी, खिलेगी मानवता,
संवेदना , स्नेह नमीं रहेगी।।