कहानी

कहानी – सुख दुख का बँटवारा

जैसे ईश्वर ने ये दुनिया बनाई, इन्सानों को बनाया, उसी तरह सभी प्रकार के भाव स्वभाव आचार विचार और पृवत्तियां भी बनाई है। हमेशा की तरह इस बार भी दिवाली आते ही सृष्टी निर्माता ने इन सभी को आदेश दिया कि धरती पर जायें और सभी प्राणियों में उनकी परिस्थितियों और अपेक्षाओं के अनुसार व्याप्त हो जायें।
सृष्टी निर्माता का ये काफिला धरती पर उतरा और चल पडा अपने अनुकुल उचित स्थान तलाशने। काफिले में सबसे अलग स्वर्ण और रजत पत्रों से सजे समृद्धि और सम्पन्नता के रथ पर सवार इठलाती बलखाती गर्वीली लक्ष्मी की शान सबसे निराली थी।
एक अन्य विशाल वाहन पर दुख अपने सारे मित्रों अभाव, अपराध, असंतोष और अकर्मण्यता के साथ धूमधडाके से चल रहा था। इन्ही के पीछे संतोष और सत्कर्म के पहियों पर एक सादगी पुर्ण रथ पर बडे सुकून से सवार सुख की छोटी सी मण्डली भी चली जा रही थी।
महानगर मेँ प्रवेश करते ही बाहरी क्षेत्र में स्थित झुग्गी झोपडी वाले गरीब मजदुरो और कमजोर लोगो का इलाका आया। लक्ष्मी के सरपट दौडते वाहन के तो वहां रूकने की कोई संभावना ही नहीं थी। उसका तो लक्ष्य था बडी बडी अटृटालिकाओं और विशाल भवनों से धिरे संपन्न इलाकों की ओर जहाँ कल कारखानों के मालिक जागीरदार जमींदार और सफल व्यवसायियोँ के निवास थे। यद्यपि बीच बीच में लक्ष्मी की नजर मार्ग पर चलते किसी साहसी कर्मठ अपनी धुन के पक्के विलक्षण व्यक्ति की भी तलाश में थी। लक्ष्मी जानती थी कि ऐसे भी कुछ लोग होते है जो किसी भी हालत में उसका रास्ता रोक के अपनी प्रतिभा और कठोर श्रम के बल पर उसका वरण कर लेते हैं।हालांकि ऐसे लोगों को खुद लक्ष्मी भी पसन्द करती थी उनका सम्मान करती थी। लक्ष्मी के काफिले के पीछे चलते दु:ख का काफिला वहीं रूक चुका था। उसके साथ चल रहे अभाव अपराध अकर्मण्यता ईर्ष्या आदि साथी दौडते हुए उन बस्तियोँ में समा चुके थे, और उन्होने पूरी बस्ती पर कब्जा कर लिया था।
सुख ने चारों तरफ नजर डाली। उसे वहां खुद के लिये कोई जगह नहीं दिखी। काफिला आगे बढा। दुख के टोले में अभी भी अपराध अकर्मण्यता और ईर्ष्या नाम के कुछ साथी थे जो चालाक थे। जिन्हेँ लक्ष्मी के साथ ही जबरदस्ती रहने की आदत थी। लक्ष्मी भी जानती थी कि ये कुछ गलत लोग भी उसे जबरदस्ती कैद कर लेते हैं,पर वो मजबूर थी। उसे ऐसे लोगों के साथ भी रहना पडता था। खैर जगमगाते ऐश्वर्यपुर्ण माहोल में रईसों की बस्तियों में लक्ष्मी का कारवाँ रूका और फैल गया उन संपन्न घरों में जहां अधिकारियों राजनीतिज्ञोँ बडे व्यापारियों उद्योगपतियों और कुख्यात अपराधियों गुण्डो के निवास थे और यहीं पर लक्ष्मी के साथ दुख के शेष रहे साथी जैसे अपराध षडयंत्र झूठ एवम‍ धोखा और स्वार्थ आदि ने भी अपना स्थान बना लिया।
सुख अभी भी अपने लिये स्थान खोज रहा था। कुछ ही खोज के बाद उसके साथियों संतोष सत्कर्म परोपकार सद्बुद्धि आदि ने भी सुख के लिये कुछ ठिकाने ढुंढ ही लिये। सुख अब विचरण कर रहा था, कुछ संतोषी मध्यमवर्गीय परिवारों में, कुछ सादगी पसन्द बुद्धिजिवियों और साहित्य साधकोँ मेँ तथा कुछ सीधेसादे मजदुर किसानों में और हां जंगल में बसे दुनिया के मायामोह से निर्लिप्त कुछ सच्चे साधु सन्तों के निवास पर। दु:ख के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। विश्व के 60 से 70 प्रतिशत घरों पर उसका राज था। लगभग 20 प्रतिशत घरों में विराजी लक्ष्मी ज्यादा खुश तो नहीं थी, लेकिन उसे विश्वास था कि, उसके दीवाने अन्ततः उसका विस्तार करेंगे चाहे कैसे भी उपाय करेँ। यद्धपि इन घरों में भी सुख को स्थान नहीं मिला था। फिर भी सुख एक स्मित सा हास्य लिये संतुष्ट था। उसे पता था कि आज के भौतिक युग में उसे इतना ही स्थान मिल पायेगा।

— महेश शर्मा, धार

महेश शर्मा

जन्म -----१ दिसम्बर १९५४ शिक्षा -----विज्ञान स्नातक एवं प्राकृतिक चिकित्सक रूचि ----लेखन पठान पाठन गायन पर्यटन कार्य परिमाण ---- लभग ४५ लघुकथाएं ६५ कहानियां २०० से अधिक गीत२०० के लगभग गज़लें कवितायेँ लगभग ५० एवं एनी विधाओं में भी प्रकाशन --- दो कहानी संग्रह १- हरिद्वार के हरी -२ – आखिर कब तक एक गीत संग्रह ,, मैं गीत किसी बंजारे का ,, दो उपन्यास १- एक सफ़र घर आँगन से कोठे तक २—अँधेरे से उजाले की और इनके अलावा विभिन्न पत्रिकाओं जैसे हंस , साहित्य अमृत , नया ज्ञानोदय , परिकथा , परिंदे वीणा , ककसाड , कथाबिम्ब , सोच विचार , मुक्तांचल , मधुरांचल , नूतन कहानियां , इन्द्रप्रस्थ भारती और एनी कई पत्रिकाओं में एक सौ पचास से अधिक रचनाएं प्रकाशित एक कहानी ,, गरम रोटी का श्री राम सभागार दिल्ली में रूबरू नाट्य संस्था द्वारा मंचन मंचन सम्मान --- म प्र . संस्कृति विभाग से साहित्य पुरस्कार , बनारस से सोच्विछार पत्रिका द्वारा ग्राम्य कहानी पुरस्कार , लघुकथा के लिए शब्द निष्ठा पुरस्कार ,श्री गोविन्द हिन्दी सेवा समिती द्वाराहिंदी भाषा रत्न पुरस्कार एवं एनी कई पुरस्कार सम्प्रति – सेवा निवृत बेंक अधिकारी , रोटरी क्लब अध्यक्ष रहते हुए सामाजिक योगदान , मंचीय काव्य पाठ एनी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से सेवा कार्य संपर्क --- धार मध्यप्रदेश – मो न ९३४०१९८९७६ ऐ मेल –mahesh [email protected] वर्तमान निवास – अलीगंज बी सेक्टर बसंत पार्क लखनऊ पिन 226024

Leave a Reply