कविता

इति श्री कथा ठसके बाज़ की

उम्मीदवार के साथ नॉमिनेशन फॉर्म भरने गया हूं
किसी ने पूछा नहीं यह महसूस किया हूं
रिमूव कर्मों का फ़ल भुगत रहा हूं
मैं फ़िर भी बड़ा ठसके बाज़ हूं

एंकरिंग मेरी फेल है परेशान हूं
खैराती एडमिन बनाया गया हूं
शिक्षाविदों को रिमूव किया हूं
मैं फ़िर भी बड़ा ठसके बाजू हूं

अभी एक समूह में शामिल हुआ हूं
खैराती कुछ छुटभैया पद पाया हूं
अपना स्वार्थ पूरा नहीं कर पाया हूं
मैं फ़िर भी बड़ा ठसके बाज़ हूं

सामाजिक इज्जत से संतुष्ट नहीं हूं
जलनखोरी में कई ख़िताब जीता हूं
ख़ुद नहीं हूं तीस मार खांन यह मानता हूं
मैं फिर भी बड़ा ठसके बाज़ हूं

गरिमा पालन का मंत्र दूसरों को देता हूं
ख़ुद गरिमा की धज्जियां उड़ाता हूं
खैराती समाज सेवा करता हूं
मैं फ़िर भी ठसके बाज़ हूं

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया

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