क्षणिका

आस्तीन का साँप

-1-
न उँगलियों में हलचल /
न था कोई निशान /
लगता है.. आज फिर डस गया /
विश्वास के किसी को /
छुपा हुआ…
आस्तीन का साँप

-2-

हैं मानव /
पर चाल से अपनी /
देते हैं विषधरों को मात /
जतलाते हैं अपनापन /
… कहीं घात लगाए /
तो कहीं छुपे हुए /
रहतें हैं आसपास /
आस्तीन के साँप।

अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed

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