कविता

सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या करें

मेरे संग जो तुमने की हैं जफ़ाएं,
तेरे संग हम तो वफा ही करेंगे,
गर तेरी रज़ा है ख़ता ही करोगे,
तो फिर कह दो हमसे हम क्या करेंगे।

मेरे संग तुमने जो की थीं..

खड़े थे अभी तक हम उसी राह में,
कि लौट आओगे अब इसी चाह में,
मेरा दिल अब तो तड़पता नहीं है
इसको खबर हो गयी तुम अब रहे छल।
वहम सारे दिल के दूर हो रहें हैं
हम अब हमको को ही प्रिय हो रहे है|

मेरे संग जो तुने की थीं….

लौटाओगे कैसे बीते हुए पल,
कितना छलोगे मिलेगा न कुछ हल,
बुने थे दिलों ने जो प्रीत के धागे
उन बंधनों से अब रिहा कर रहे हैं,
सिफर से शुरू अब करें जिंदगी हम,
आराम इस दिल को जरा दे रहें हैं।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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