बाल कविता

भैया – बहना

भाई बहन में हुई लड़ाई,
कुट्टी – मिठ्ठी होती आई।
अब हम कुट्टी, न होंगे मिठ्ठी।
नहीं बोलना, तुमसे भाई ll

कूद- कूद जा चढ़ी पेड़ पर,
भाई ने तरकीब लगाई l
एक तार जोड़ फोन बनाया,
एक सिरा बहना को थमाया।
दूसरे सिरे से यह समझाया ,
गिर जाएगी प्यारी बहना ।
उतर पेड़ से मान ले कहना,
गुस्से का क्यों चश्मा पहना?
हम तुम अच्छे हैं ना बहना।
दोनों को मिल जुलकर रहना ।
भाई दूज पर दूँगा गहना।

— बृज बाला दौलतानी