बेवकूफ (लघुकथा)
“माँ, इस एफ.डी.आर. में भी नॉमिनी मुझे ही रखना, भैया सम्भाल नहीं सकता।”
“बेटे, मैं बराबर बांटना चाहती हूँ। उसको देख, तेरे पिताजी के देहांत के बाद उसने खुदके हक की सरकारी नौकरी तुझे दे दी और खुद प्राइवेट नौकरी में धक्के खा रहा है।”
“यही बात तो उसको बेवकूफ साबित करती है।