कविता

दिल को बच्चा रहने तो दो!

दिल तो एक बच्चा है जी,
उसे बच्चा ही रहने तो दो,
अवसंजन से मुक्ति मिलेगी,
तनिक उसे बहलने तो दो!

अनुभव ग़लत फैसलों से आता है,
अनुभवों को आने तो दो,
अनुभव ही ग़लत फैसलों से बचाता भी,
अनुभवों को साथी बनने तो दो!

सबकी सुनते हो और मानते भी हो,
निज मन की बात सुनने तो दो,
“कुछ तो लोग कहेंगे” रोग-तमस को,
किंचित दूर हटने तो दो!

उगने दो सदाचरण की फसल को,
दानवीय खर-पतवार कटने तो दो,
आने दो शुद्ध पवन झरोखों से,
प्रेम-सुधा को बरसने तो दो!

उम्र तो बस एक नंबर ही होती है,
पुरअसर उसको बहने तो दो,
दिल तो एक बच्चा है जी,
उसे बच्चा ही रहने तो दो!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244