जब-जब देखो मौन
जब-जब देखो मौन मुझे
तुम करना मुझसे बातें
सार्थक या निर्रथक
बेतुकी या बचकानी
पर करना मुझसे बातें
भले ही ना मुस्कऊँ मैं
हामी भी ना भरूँ अगर
तुम हाथ थाम कर मेरा फिर भी
करना मुझसे बातें
बरसों मैंने राह देखी है की
तुम पास बैठोगे मेरे और
मैं आंखों से कहूंगी
तुम करना मुझसे बातें
मत सोचना ये बातें
कहाँ तक चलेंगी
बिना किसी इरादे के बस
तुम करना मुझसे बातें
बीच हमारे चुप्पी जाल बुन लेंगी
दूर हो जाएंगे हम तुम
रिश्ते के इस पौधे को बचाने के लिए
हमेशा तुम मुझसे करना बातें।
— सविता दास सवि