पुस्तक समीक्षा – गांव चलें हम
यह पुस्तक भिलाई जिला दुर्ग छत्तीसगढ़ के डाक्टर प्रशांत कानस्कर की नवीन कृति है।
पुस्तक,, गांव चलें हम बहुत ही सुन्दर कविता संग्रह है। इसमें कवि ने कविता के माध्यम से पाठकों को बांधने की सुंदर कोशिश की है। पाठक पुस्तक पढ़ना शुरु करे तो एक के बाद एक रचनाओं को पढ़ता चला जाय।
इस पुस्तक में कविता,गीत, ग़ज़ल मुक्तक, छंद जैसी विधा की रचनाओं का अद्भुत समावेश है।और सबसे विशेष बात यह कि कवि ने अपनी रचनाओं को किसी शीर्षक में नहीं बांधा है। गीत,ग़ज़ल,मुक्तक, छंद, कविता सभी, शीर्षक से स्वतंत्र हैं। रचनाओं के ऊपर वह किस विधा की रचना है यह अवश्य लिखा है।
शब्द संयोजन अति सुन्दर,सहज और सरल है।
सरल शब्दों को ही पिरो कर कवि ने भावपूर्ण
शैली में अपनी कवि मन की भावनाओं को
पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।
कविताओं के माध्यम से कवि ने हमारे देश के गांवों, किसानों, फसलों खलिहानों का सुंदर वर्णन किया है।
इस पुस्तक के रचनाकार प्रशांत कानस्कर वरिष्ठ पत्रकार हैं।साथ ही इन्हें भारतीय ग्राम समाज के बेहतरी के लिए नायाब उदाहरण पेश करने के लिए देश के नामी पत्रकार एवं संपादकों को दिया जाने वाला सुप्रसिद्ध स्टेट्समैन अवार्ड और राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजा गया है। वर्तमान में भी सक्रिय पत्रकारिता में व्यस्त हैं।
समीक्षा — अमृता राजेन्द्र प्रसाद
लेखक- डॉक्टर प्रशांत कानस्कर
प्रथम संस्करण
मूल्य 300/
कुल पृष्ठ 120
आवरण एवं पृष्ठ साथ सज्जा आशीष चक्रवर्ती
मुद्रक प्रकाशक शेफाली मिडिया पब्लिकेशन ग्रुप
भिलाई, जिला दुर्ग , छत्तीसगढ़