बाल कविता

प्यारे बच्चों,

फूलों से मुस्कुराना सीखो,

पंछियों से मस्त मगन जीना,

तितलियों से ख्वाब बुनना,

भंवरों से मधुर गुनगुनाना।।

आंखों के तारों सीखना,

प्रकृति से परोपकार करना,

सूरज से उजियारा करना,

चंदा से चांदनी छितराना।।

श्री राम-सा मर्यादा पुरषोत्तम,

मनमोहना-सा प्रिय सखा तुम,

शूर छत्रपति शिवाजी महाराज,

बनो वीर महाराणा प्रताप तुम।।

लहराओ तिरंगा शान-सम्मान से,

भारत का गौरव ज्ञान-कौशल से,

महके अपनी माटी, अपनी संस्कृति,

गुरुजन, मातपिता के आशीष से।।

अथक परिश्रम से शिक्षा पाना,

ज्ञान भंडार से खूब मोती चुगना,

जिद, जुनून, हिंमत, हौसले से,

बाज सी उन्मुक्त उड़ान भरना।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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